किछौछा संवाददाता। प्रसिद्ध सूफी संत सैयद मखदूम अशरफ जहांगीर सिम्नानी किछौछा दरगाह में शुक्रवार सुबह सूफी संत हजरत मखदूम अशरफ के 635वें सालाना गुस्ल मुबारक का समापन हो गया। दो दिवसीय कार्यक्रम के संपन्न होते ही देश भर के जायरीनों की घर वापसी का सिलसिला शुरू हो गया है।  गुरुवार रात 9 बजे दरगाह के आस्ताने पर विशेष जलसा का आयोजन हुआ। देश के नामचीन ओलमा व वक्ताओं ने गुस्ल मुबारक के जलसे को संबोधित किया। सभी वक्ताओं ने मानवता, विश्व बंधुत्व व इंसानी हमदर्दी के लिए समर्पित सूफी संत हजरत मखदूम अशरफ के जीवन पर विस्तार से रोशनी डाली। वहीं नातखां और शायरों ने नबी की शान में नातिया कलाम पेश किया। जलसे का समापन शुक्रवार भोर में करीब चार बजे हुआ। इस मौके पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष व सज्जादानशीन सै. फखरुद्दीन अशरफ किछौछवी ने गुस्ल मुबारक में आए हुए जायरीनों, मुल्क की खुशहाली व विश्व शांति के लिए खास दुआएं मांगी। इसके उपरांत दरगाह के सज्जादानशीन सैय्यद फखरुद्दीन अशरफ किछौछवी व सज्जादानशीन सैय्यद मोहिउद्दीन अशरफ, सैयद अनीस अशरफ समाजसेवी सैयद अज़ीज़ अशरफ अध्यक्ष जामिया फाउंडेशन सहित खानवादए अशरफिया के चंद लोगों के साथ सूफी संत हजरत मखदूम अशरफ के रौजे मुबारक ( समाधि ) के पास जा कर 40 घड़ा गुलाब जल व केवड़ा जल से रौजे मुबारक को गुस्ल देना शुरू किया। देश भर से आए हुए जायरीनों ने पवित्र तालाब नीर शरीफ का जल मिट्टी के घड़े में लेकर सहभागिता की

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