गुजरात विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ बीजेपी यूपी चुनाव का ही विनिंग फॉर्मूला अपनाने की जुगत में है. यूपी में बीजेपी ने जिस तरह से दूसरे दलों से आए नेताओं को अपने टिकट से चुनाव लड़ाकर प्रचंड जीत हासिल की थी, माना जा रहा है कि उसी तर्ज पर वो गुजरात की सियासी जंग भी फतह करना चाहती है. यही वजह है कि पहले चरण की वोटिंग को करीब तीन हफ्ते ही रह गए हैं, लेकिन पार्टी ने अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान नहीं किया है.
प्रचार के बाद अब टिकटों पर माथापच्ची
गुजरात में चुनाव प्रचार का पहला राउंड हो चुका है. कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी ने जहां राज्य में जातिगत समीकरण साधने और वोटरों के सामने कांग्रेस को एक मजबूत विकल्प साबित करने की कवायद की, वहीं बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने केंद्रीय मंत्रियों की फौज के साथ राज्य में बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने का प्रयास किया. अब दोनों पार्टियां टिकटों पर माथापच्ची कर रही हैं, क्योंकि प्रचार के दौरान ग्राउंड से मिले फीडबैक से उन्हें इतना अंदाजा हो गया है कि किस इलाके में कैसी राजनीतिक हवा है और उस हवा को अपने पक्ष में करने के लिए किस तरह का उम्मीदवार नैया पार लगा सकता है. अभी तक कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों से उम्मीद की जा रही थी कि वो कल अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट घोषित कर देंगे, लेकिन न तो बीजेपी और न ही कांग्रेस ने ऐसा किया.
बीजेपी में टिकटों पर मंथन, लेकिन ऐलान नहीं
बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति ने बुधवार शाम अपने उम्मीदवारों के नाम फाइनल करने के लिए पार्टी मुख्यालय पर बैठक की. इसमें पीएम नरेंद्र मोदी, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह, गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, डिप्टी सीएम नितिन पटेल, गुजरात बीजेपी अध्यक्ष जीतू वघानी, गुजरात बीजेपी प्रभारी भूपेंद्र यादव सहित तमाम वरिष्ठ नेता मौजूद रहे. बैठक में मंत्रणा तो लंबी चली, लेकिन मीटिंग के बाद जेपी नड्डा ने बताया कि चुनाव समिति की बैठक में गुजरात की सभी सीटों के टिकट पर चर्चा हुई है. लेकिन सही वक्त पर टिकट को लेकर फैसला लिया जाएगा.
कांग्रेस ने भी रद्द की बैठक
गुजरात में टिकट पर कांग्रेस की भी बुधवार को मीटिंग होनी थी, लेकिन ऐन मौके पर यह मीटिंग रद्द कर दी गई. कांग्रेस अब 17 नवंबर को उम्मीदवारों के नाम पर चर्चा करेगी. दरअसल, कांग्रेस और बीजेपी दोनों इस कोशिश में हैं कि पहले सामने वाली पार्टी अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान करें, ताकि टिकटों से वंचित रहे प्रतिद्वंद्वी पार्टी के मजबूत उम्मीदवारों को अपनी पार्टी से लड़ाया जा सके. यूपी चुनाव में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने ये दांव चला था और नतीजे बताते हैं कि ये कामयाब भी रहा.
बीजेपी को उलटा पड़ सकता है उसका दांव
बीजेपी जीत के इसी फॉर्मूले को गुजरात में अपनाना चाहती है. कांग्रेस भी शाह के इस दांव से वाकिफ है और इसलिए वो भी नहीं चाहती कि बीजेपी को कोई ऐसा मौका दिया जाए. लिहाजा वो भी अपने उम्मीदवारों की लिस्ट को लटकाए हुए है. दूसरी ओर बीजेपी को ये भी डर है कि अगर पिछले चुनावों की तरह इस बार भी वो बड़ी संख्या में अपने वर्तमान विधायकों का टिकट काटेगी, तो ये विधायक बागी होकर कांग्रेस का हाथ थाम सकते हैं यानी बीजेपी की रणनीति उसी के खिलाफ काम कर सकती है. दोनों पार्टियों की इस कशमकश में ये देखना दिलचस्प होगा कि आखिर टिकटों का बंटवारा कब और कैसे होता है?
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