ब्यूरो चीफ जावेद अहमद सिद्दीकी।
अशरफपुर किछौछा: आल इंडिया बज़्मे-अशरफ़ के अध्यक्ष और मासिक पत्रिका सूफ़िये-मिल्लत के चीफ एडिटर सैयद हैदर किछौछवी ने केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में पारित तीन तलाक विधेयक बिल पर सरकार की तीखी आलोचना करी है, सैयद हैदर ने कहा कि इस बिल की कोई अहमियत नहीं है, सरकारें आएंगी जाएंगी, बिल आएगा जाएगा लेकिन सच्चा मुसलमान दीने-इस्लाम के कानून पर ही अमल करेगा, सरकार चाहे कितने भी बिल क्यों न बना ले, लेकिन जो लोग इस्लाम को मानते हैं वह शरीयत पर जरूर अमल करेंगे।
श्री हैदर ने कहा कि सरकार अब इस बिल को राज्यसभा में पेश करेगी इसकी जानकारी पहले से ही थी, लेकिन इसकी अहमियत नहीं है।
सैयद हैदर ने कहा है शरीयत के कानून को बदलने का हक़ किसी को नही और उसमें किसी तरह का फेरबदल मंज़ूर नही.
सैयद हैदर ने कहा आप एक नहीं एक हज़ार कानून बना लें, लेकिन जो मुसलमान हैं वे समझते हैं कि तलाक हो गया और अब हमारी बच्ची के साथ तलाक देने वाले शौहर के साथ रहेगी तो उसका रहना नाजायज होगा और उसकी औलाद भी नाजायज होगी। वह इस मसले से पीछे नहीं हटेंगे, हम तीन तलाक का समर्थन नहीं करते हम इसको बुरा मानते हैं और गुनाह समझते हैं, लेकिन इतना बड़ा गुनाह नहीं समझते कि उसकी बुनियाद पर किसी को 3 साल की जेल में डाल दिया जाए और उसके बच्चों और उसकी बीवी को बेसहारा छोड़ दें, यह बेवकूफी की बात है कि अगर पत्नी से रिश्ते अच्छे नहीं है और तलाक दे दिया गया तो 3 साल की सज़ा और बिन तलाक के ज़िन्दगी भर उसकी जिंदगी को बर्बाद करते रहो तो कोई सज़ा नही, चर्चा और सज़ा का प्रावधान इसपे बनाना चाहिए जो लोग बिना तलाक दिए अपनी पत्नियों को छोड़ देते हैं,
जो मुसलमान चाहता है कि उसकी जिंदगी शरीयत के मुताबिक चले वह अपनी जिंदगी को चलाएगा जो नहीं चाहता अदालत में चला जाए।
आल इंडिया बज़्मे-अशरफ़ इस तरह के बिल और शरीयत में किसी तरह की मुदाखलत का विरोध करती है।
तीन तलाक़ पर चल रहा मीडिया ट्रायल निंदनीय है, कभी भी क़ुरान और संविधान को एक साथ नहीं जोड़ा जा सकता,
क़ुरान हमारी रूह है जिसे हमारे जीते जी हरगिज़ नहीं बदला जा सकता,
हर देश का अलग अलग संविधान तो हो सकता है जिसपे हर देश के अलग अलग नागरिक को मानना ज़रूरी है, लेकिन क़ुरान का संविधान पूरी दुनिया का मुसलमान मानता था मानता है और मानता रहेगा इसलिए की इसमें बदलाव मुमकिन ही नहीं है बदली वही चीज़ जा सकती है जिसको इंसान ने बनाया हो, जिस इंसान को खुद ख़ुदा ने बनाया हो वो कैसे ख़ुदा के बनाये हुए क़ानून में बदलाव कर सकता है,
भारत के देशभक्त मुसलमान भारत के कानून में आस्था रखते हैं, अमल करते हैं, लेकिन शरीयते मुस्तफ़ा में बदलाव नहीं कर सकते हैं, हमें भारतीय संविधान ने अपने धर्म के हिसाब से जीने का हक़ दिया जो तथा कथित असामाजिक तत्वों दोवारा छीनने की कोशिश की जा रही है जिसका अंजाम हमारी एकता, अखण्डता, भाईचारे, और साथ ही साथ भारतीय संविधान के लिए बड़ा ख़तरा नज़र आ रहा है...
हम एक देश भक्त मुसलमान होने के नाते देश के सिस्टम से ये आग्रह करेंगे, की मुसलानों के पर्सनल ला में खिलवाड़ से बेहतर है की मुल्क़ की तरक़्क़ी और अमन को बनाये रखने के लिए कदम उठाये ना की मुल्क़ को खोखला करें...
अशरफपुर किछौछा: आल इंडिया बज़्मे-अशरफ़ के अध्यक्ष और मासिक पत्रिका सूफ़िये-मिल्लत के चीफ एडिटर सैयद हैदर किछौछवी ने केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में पारित तीन तलाक विधेयक बिल पर सरकार की तीखी आलोचना करी है, सैयद हैदर ने कहा कि इस बिल की कोई अहमियत नहीं है, सरकारें आएंगी जाएंगी, बिल आएगा जाएगा लेकिन सच्चा मुसलमान दीने-इस्लाम के कानून पर ही अमल करेगा, सरकार चाहे कितने भी बिल क्यों न बना ले, लेकिन जो लोग इस्लाम को मानते हैं वह शरीयत पर जरूर अमल करेंगे।
श्री हैदर ने कहा कि सरकार अब इस बिल को राज्यसभा में पेश करेगी इसकी जानकारी पहले से ही थी, लेकिन इसकी अहमियत नहीं है।
सैयद हैदर ने कहा है शरीयत के कानून को बदलने का हक़ किसी को नही और उसमें किसी तरह का फेरबदल मंज़ूर नही.
सैयद हैदर ने कहा आप एक नहीं एक हज़ार कानून बना लें, लेकिन जो मुसलमान हैं वे समझते हैं कि तलाक हो गया और अब हमारी बच्ची के साथ तलाक देने वाले शौहर के साथ रहेगी तो उसका रहना नाजायज होगा और उसकी औलाद भी नाजायज होगी। वह इस मसले से पीछे नहीं हटेंगे, हम तीन तलाक का समर्थन नहीं करते हम इसको बुरा मानते हैं और गुनाह समझते हैं, लेकिन इतना बड़ा गुनाह नहीं समझते कि उसकी बुनियाद पर किसी को 3 साल की जेल में डाल दिया जाए और उसके बच्चों और उसकी बीवी को बेसहारा छोड़ दें, यह बेवकूफी की बात है कि अगर पत्नी से रिश्ते अच्छे नहीं है और तलाक दे दिया गया तो 3 साल की सज़ा और बिन तलाक के ज़िन्दगी भर उसकी जिंदगी को बर्बाद करते रहो तो कोई सज़ा नही, चर्चा और सज़ा का प्रावधान इसपे बनाना चाहिए जो लोग बिना तलाक दिए अपनी पत्नियों को छोड़ देते हैं,
जो मुसलमान चाहता है कि उसकी जिंदगी शरीयत के मुताबिक चले वह अपनी जिंदगी को चलाएगा जो नहीं चाहता अदालत में चला जाए।
आल इंडिया बज़्मे-अशरफ़ इस तरह के बिल और शरीयत में किसी तरह की मुदाखलत का विरोध करती है।
तीन तलाक़ पर चल रहा मीडिया ट्रायल निंदनीय है, कभी भी क़ुरान और संविधान को एक साथ नहीं जोड़ा जा सकता,
क़ुरान हमारी रूह है जिसे हमारे जीते जी हरगिज़ नहीं बदला जा सकता,
हर देश का अलग अलग संविधान तो हो सकता है जिसपे हर देश के अलग अलग नागरिक को मानना ज़रूरी है, लेकिन क़ुरान का संविधान पूरी दुनिया का मुसलमान मानता था मानता है और मानता रहेगा इसलिए की इसमें बदलाव मुमकिन ही नहीं है बदली वही चीज़ जा सकती है जिसको इंसान ने बनाया हो, जिस इंसान को खुद ख़ुदा ने बनाया हो वो कैसे ख़ुदा के बनाये हुए क़ानून में बदलाव कर सकता है,
भारत के देशभक्त मुसलमान भारत के कानून में आस्था रखते हैं, अमल करते हैं, लेकिन शरीयते मुस्तफ़ा में बदलाव नहीं कर सकते हैं, हमें भारतीय संविधान ने अपने धर्म के हिसाब से जीने का हक़ दिया जो तथा कथित असामाजिक तत्वों दोवारा छीनने की कोशिश की जा रही है जिसका अंजाम हमारी एकता, अखण्डता, भाईचारे, और साथ ही साथ भारतीय संविधान के लिए बड़ा ख़तरा नज़र आ रहा है...
हम एक देश भक्त मुसलमान होने के नाते देश के सिस्टम से ये आग्रह करेंगे, की मुसलानों के पर्सनल ला में खिलवाड़ से बेहतर है की मुल्क़ की तरक़्क़ी और अमन को बनाये रखने के लिए कदम उठाये ना की मुल्क़ को खोखला करें...
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