आजमगढ़ : जल संरक्षण के लिए केंद्र व प्रदेश सरकार की तरफ से हर तरह की कवायद की जा रही है ताकि हमारा जल संरक्षित हो सके। इसके लिए करोड़ों रुपये सरकार जहां खर्च कर रही है वहीं घरों में वर्षा के पानी को एकत्र करने के लिए भी नक्शा बनाया जा रहा है। ऐसे में लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है ताकि हमारा जल संरक्षण हो सके। आज पानी का संकट बढ़ता जा रहा है। ऐसे समय में सठियांव ब्लाक की ग्राम पंचायत कस्बा सराय के ग्राम प्रधान इस्माइल फारूकी के पूर्वजों ने करीब 100 वर्ष पूर्व अपनी स्वयं की भूमि पर करीब आठ बीघा में एक विशाल पोखरे की खोदाई करवा कर जल संरक्षण की व्यवस्था की है। इसको चार पीढि़यों से बरकरार रखा गया है। समय-समय पर पोखरे की खोदाई और रख रखाव के लिए स्वयं के प्रयासों और धन खर्च करके पोखरे के अस्तित्व को कायम रखा गया है। वर्ष 1917 में छित्तन मियां ने आठ बीघा जमीन पर पोखरा खोदवा कर कुआं से पानी भरवा कर की। बरसात के मौसम में पानी का संचयन के लिए क्षेत्र में मात्र यही एक पोखरा था जिससे आपपास के गांवों रानीपुर, सरदारपुर, खुझिया, राऊतमऊ, पैकौली, रघुनाथपुर, भगवानपुर, कुकुड़ीपुर आदि गांवों के पशुओं और लोगों की जल आवश्यकता की पूर्ति होती थी। पोखरे के अस्तित्व को कायम रखने के लिए सन् 1962 में पुन: अब्दुल मोईद ने पोखरे की मरम्मत करवा कर उस पर ट्यूबवेल की बो¨रग करवा कर प¨म्पग सेट लगवाया। इसी कड़ी में मुहम्मद आजम ने पोखरे पर बाकायदा बिजली की व्यवस्था की। वर्तमान में कस्बा सराय के ग्राम प्रधान इस्माईल फारूकी ने अपने पूर्वजों की इस परम्परा का बरकारार रखते हुये पोखरे की चारों ओर मेड़ बनवाकर वृक्षारोपण करवा कर सरकार की मंशा को आगे बढ़ाते हुये संकल्प लिया है कि आगे भी पोखरे की देखरेख और रोपित वृक्षों की ¨सचाई और उनकी देखभाल की जाएगी ताकि पर्यावरण संरक्षण को बल मिल सके।
आजमगढ़ : जल संरक्षण के लिए केंद्र व प्रदेश सरकार की तरफ से हर तरह की कवायद की जा रही है ताकि हमारा जल संरक्षित हो सके। इसके लिए करोड़ों रुपये सरकार जहां खर्च कर रही है वहीं घरों में वर्षा के पानी को एकत्र करने के लिए भी नक्शा बनाया जा रहा है। ऐसे में लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है ताकि हमारा जल संरक्षण हो सके। आज पानी का संकट बढ़ता जा रहा है। ऐसे समय में सठियांव ब्लाक की ग्राम पंचायत कस्बा सराय के ग्राम प्रधान इस्माइल फारूकी के पूर्वजों ने करीब 100 वर्ष पूर्व अपनी स्वयं की भूमि पर करीब आठ बीघा में एक विशाल पोखरे की खोदाई करवा कर जल संरक्षण की व्यवस्था की है। इसको चार पीढि़यों से बरकरार रखा गया है। समय-समय पर पोखरे की खोदाई और रख रखाव के लिए स्वयं के प्रयासों और धन खर्च करके पोखरे के अस्तित्व को कायम रखा गया है। वर्ष 1917 में छित्तन मियां ने आठ बीघा जमीन पर पोखरा खोदवा कर कुआं से पानी भरवा कर की। बरसात के मौसम में पानी का संचयन के लिए क्षेत्र में मात्र यही एक पोखरा था जिससे आपपास के गांवों रानीपुर, सरदारपुर, खुझिया, राऊतमऊ, पैकौली, रघुनाथपुर, भगवानपुर, कुकुड़ीपुर आदि गांवों के पशुओं और लोगों की जल आवश्यकता की पूर्ति होती थी। पोखरे के अस्तित्व को कायम रखने के लिए सन् 1962 में पुन: अब्दुल मोईद ने पोखरे की मरम्मत करवा कर उस पर ट्यूबवेल की बो¨रग करवा कर प¨म्पग सेट लगवाया। इसी कड़ी में मुहम्मद आजम ने पोखरे पर बाकायदा बिजली की व्यवस्था की। वर्तमान में कस्बा सराय के ग्राम प्रधान इस्माईल फारूकी ने अपने पूर्वजों की इस परम्परा का बरकारार रखते हुये पोखरे की चारों ओर मेड़ बनवाकर वृक्षारोपण करवा कर सरकार की मंशा को आगे बढ़ाते हुये संकल्प लिया है कि आगे भी पोखरे की देखरेख और रोपित वृक्षों की ¨सचाई और उनकी देखभाल की जाएगी ताकि पर्यावरण संरक्षण को बल मिल सके।
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