अम्बेडकर नगर । दिन भर की भूख व प्यास की शिद्दत बर्दाश्त कर रोज़ेदारों ने अल्लाह की इबादत में रमज़ानुल मुबारक का 19वां दिन भी गुज़ारा। दीन का जज़्बा बड़ों के साथ बच्चों में भी कम नहीं है रमज़ानुल मुबारक के ज़ारी माह में कई नन्हें रोज़ेदारों ने भी अपनी ज़िन्दगी का पहला रोज़ा रखा। धूप और गर्मी में इन दिनों जहाँ बड़ों की हालत ख़राब होती नज़र आती है ऐसे में नन्हें मुन्ने रोज़ेदारों की हिम्मत को सभी सलाम कर रहे हैं। छोटे बच्चों के रोज़ा रखने पर घरों में खुशी का माहौल रहता रहा। टांडा तहसील क्षेत्र के दहियावर गांव निवासी पत्रकार रज़ा ज़ैदी की 6 साल की मासूम बेटी ख़दीजा ज़ैदी अपने माँ- बाप के साथ रमज़ानुल मुबारक की 19 वीं तारीख को अपनी ज़िन्दगी का पहला रोज़ा रखकर बताया कि मैं अपने पहले इमाम हज़रत अली अलैहिस्सलाम की शहादत पर लगातार 19, 20, 21 तारीख़ को रोज़ा रख कर मौला से दुआ मांगूगी ताकि कोरोना खत्म हो जाए। ख़दीजा ज़ैदी ने उक्त बातें बता कर बड़ों बड़ों को रोज़ा रखने की सीख दी है। बुधवार को उनके पिता ने बताया कि माशाअल्लाह से मेरी बेटी ख़दीजा ज़ैदी हम लोगों के साथ आज ज़िन्दगी का पहला रोज़ा रख कर अपने माँ-बाप का हौसला बढ़ाया था। परिवार की लाडली बेटी के रोज़ा रखने पर इफ्तार के वक्त बड़े इन्तेज़ाम किये गए पहले रोज़े की खुशी में बड़ो ने इनाम और दुआवों से भी नवाज़ा। इफ्तार के वक्त नन्हीं रोज़ेदार नें लगभग 15 घंटे की भूख व प्यास के बाद जब खुज़ूर मुँह में डाली तो वालिद व माँ की आँखे छलक गयी। कहा ख़दीजा ज़ैदी ने कहा कि पापा- मम्मी ने बताया कि रमज़ानुल मुबारक के रोज़े रखने वालों की हर दुआ अल्लाह क़बूल करता है इस लिए रोज़ा रख कर हम ने अल्लाह से दुआ किया कि अल्लाह सारी दुनिया ए जहान के साथ हमारे देश भारत से भी कोरोना बीमारी को जल्द अज़ जल्द खत्म हो जाए ताकि हम लोग फिर से अपने स्कूल जा कर अपनी पढ़ाई मुक़म्मल कर सकें ।
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ख़दीजा ज़ैदी ने रोज़ा रख कर मांगी अपने देश के अमन चैन लिए दुआएं
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