रिपोर्ट सर्वेश गुप्ता

 *मऊ उत्तर प्रदेश---* राजनीति के इतिहास में अपनी एक अलग पहचान बनाने वाले मऊ जिला के माने जान वाले सपा नेता विजय शंकर का राजनीतिक कदम सपा के महामहिम मुलायम सिंह यादव के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने से शुरुआत हुई और अपने अमूल्य जीवन का कीमती समय समाजवादी पार्टी के लिए न्यौछावर करने वाले संघर्षशील,कर्मठी नेता को हमेशा पार्टी की बेवफाई मिली।
 किंतु फिर भी उम्मीदों का दामन थामे हुए पार्टी के लिए एक एक पल संघर्ष करते रहे ।
कई बार उम्मीदों की किरण जगी प्रत्याशी के तौर पर किंतु पार्टी के आदेशों का पालन करते हुए अपने धैर्य का परिचय दिया ।
वही समाज के लोग यह आश लगाए बैठे थे कि आखिरकार वह समय कब आएगा जब जनता के दिलों पर राज करने वाला यह नेता हमारा मसीहा बनेगा। आजमगढ़ जिले के शिब्ली चिल्ड्रन डीएवी डिग्री कॉलेज में छात्र नेता की राजनीति करने का रिकॉर्ड विजय शंकर ने बनाया है। 1980 में लोक दल के सदस्य के मुख्यधारा की राजनीति से शुरुआत किया ।
इतना ही नही मऊ और आजमगढ़ जिला अध्यक्ष पद की कमान संभाल चुके हैं।
 1986 सत्ता से में जब लोकदल टूटा और दलित किसान मजदूर पार्टी के रूप में सामने आया तो आजमगढ़ में पार्टी विस्तार समिति के सदस्य भी बनाए गए। अपने कर्तव्य-निष्ठा और ईमानदारी एवं पार्टी प्रति समर्पण से प्रभावित होकर शिवपाल सिंह यादव ने विजय शंकर यादव को महत्व देते हुए एक बडी जिम्मेदारी अपनी पार्टी में दिया।
बताते चले कि शिवपाल सिंह यादव ने समाजवादी सेकुलर मोर्चा नीव डालते हुए समाजवादी पार्टी से अपना नाता तोड़ दिया और एक नई पार्टी के रूप में अपना झंडा गाड़ दिया है ।
और पूरे दमखम के साथ विजयश्री का पताका लहराने की जुगत में राजनीति के अखांडें में कूद चुके हैं।
वहीं पार्टी को आगे बढाने के लिए मऊ जिले से विजय शंकर यादव को विशेष जिम्मेदारी दी है।
वहीं नगर के जनता में जश्न का माहौल देखने को तब मिला जब शिवपाल सिंह यादव ने प्रवक्ताओं और मंडल अध्यक्षों के बाद तीस जिला अध्यक्षों की सूची में मऊ जिले की कमान विजय शंकर यादव को दिया और पार्टी में दमखम के साथ उतरे विजय शंकर यादव ने यह दावा किया है कि सपा की पार्टी को पूरी तरह तोड़ कर ही दम लूंगा।
 जिला अध्यक्ष पद की कमान मिलने के बाद नगर आगमन पर विजय शंकर यादव का नगर वासियों के द्वारा माला पहनाकर भव्य स्वागत किया गया ।
लोगों में जश्न का माहौल देखा गया।
 जनता को यह अब महसूस हो रहा है कि सही मायने में उनका कोई प्रतिनिधित्व करने वाला जनप्रिय नेता मिल गया हो।
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