ब्यूरो रिपोर्ट सर्वेश गुप्ता

 अंबेडकर नगर ---शिक्षा के क्षेत्र में एक नया आयाम बनाने वाले एवं अपने कुशल निर्देशन में शिक्षा जगत में एक अहम और विशेष योगदान देने का जो कार्य दिन पर दिन उन्नयन के चरणों में विस्तारीकरण करते हुए लोगों के अंदर संस्कृत के ज्ञान की नई ज्योति जगाने का काम संस्कृत के विशेषज्ञ आचार्य दीपक पांडेय द्वारा किया जा रहा है ।
वहीं शिक्षा के पावन मंदिर में शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्रों द्वारा लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के जयंती समारोह के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम के दौरान आचार्य का माला पहनाकर स्वागत किया।
 जहां पर आचार्य ने लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के जीवन का व्याख्यान करते हुए सभी को उनके पद चिन्हों पर चलने की बात कही।
बताते चलें कि अंबेडकर नगर की धरती पर जन्मे रुकनपुर बबन पट्टी सूरापुर ग्राम सभा निवासी आचार्य दीपक पांडेय कि शिक्षा सदा अग्रणी रही है।
इन्होंने 2005 में हाई स्कूल,  2007 में इंटरमीडिएट,2010 में स्नातक, 2012 में B.Ed, 2014 में आचार्य की डिग्री  प्राप्त कर अब देश हित में संस्कृत के ज्ञान का विस्तार करते हुए लोगों में एक नई ज्योति जगाने का कार्य कर रहे हैं।
 दीपक पांडे ने मीडिया को बताया कि जिस तरह आज संस्कृत को लोग एक कठिन विषय के रूप में देखते चले आ  रहे हैं।
 ऐसे में मेरा दावा है की हर एक शख्स को हिंदी या अन्य विषयों से सहज तरीके से संस्कृत का विस्तार कर संस्कृत का रूपांतरण करा सकता हूं और कराता हूं।
 ठीक उसी प्रकार मानो कि संस्कृत से सहज और सरल कोई भी विषय ना हो क्योंकि वास्तविक रूप से संस्कृत आसान विषयों में से तो नहीं है लेकिन यदि संस्कृत का सही भावार्थ समझ में आ जाए तो संस्कृत से सहज और सरल कुछ हो भी नहीं सकता।
 आचार्य ने बताया कि निरंतर संस्कृत को बढ़ावा देने का कार्य मेरे द्वारा किया जा रहा है और प्रयास यह है कि हर वह व्यक्ति जो संस्कृत से अछूता है जिसके अंदर संस्कृत भाषा का भय है ऐसे लोगों का मैं स्वागत करता हूं और उन्हें दृढ संकल्पित करते हुए विश्वास दिलाता हूं कि संस्कृत उनके जीवन के रोम रोम में बसने का कार्य करेगा।
 मेरे इस चार साल की योगदान में लगभग 13 हजार विद्यार्थियों को संस्कृत की शिक्षा प्रदान करने का काम किया है।
निरंतर 13 हजार को तेरा हजार लाख की श्रेणी में लाने से नहीं चूकूंगा ।
प्रयागराज (इलाहाबाद) में निरंतर अपनी सेवा संस्कृत विषय को देते हुए लोगों में नई स्फूर्ति जगाने का कार्य करने का जो बीड़ा आचार्य दीपक पांडेय ने उठाया है उसे संपूर्ण जीवन के लिए संकल्पित आचार्य ने संस्कृत को अपना जीवन माना है।
 आचार्य ने कहा कि सम्पूर्ण भारत में संस्कृत की एक ऐसी गंगा बहाऊंगा जिससे संस्कृत का एक बार फिर से उदय हमारे देश में होगा।
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