यूँ ज़माने मे मसीहा तो बहुत हैं लेकिन
कोई दुनियाँ मे नहीं मेरे पयम्बर की तरह। अफ़रोज़ रौशन
संवाददाता मोकीम खान
किछौछा। शनिवार की रात्रि अंजुमन उम्मते मोहम्मदि के जेरे ऐहतेमाम प्रसिद्ध सूफी संत हजरत सैयद मखदूम अशरफ जहाँगीर सिमनानी रहमतुल्लाह अलैह की दरगाह कैंपस में स्थित सलामी गेट पर जश्ने गौसुलवरा व नातिया मुशायरे का आयोजन हुआ जिसकी सदारत जनाब मुफ्ती मोहम्मद रिजवान साहब किब्ला जामई खतीब वो इमाम सिमनां मस्जिद दरगाह रसूल पुर ने की
इस प्रोगराम की शुरुआत जनाब हाफिज व कारी शकील अशरफी ने तेलावते कलामे पाक से की वहीं नेजामत जैसेबा कमाल हुनर को अंजाम नकीब- ऐ अहले सुन्नत मौलाना गुलाम मुस्तफा अशरफी ने दिया इस मुशायरे मे मेज़बान शायरों के साथ साथ दूर - दराज़ से आये हुए मेहमान शायरों ने भी हिस्सा लिया वहीं प्रोग्राम मे बतौर मेहमान ऐ खुसूसी मो शरीफ़ सभासद, मो मतीन सिद्दीक़ी, मजलिस नेता मोहम्मद सब्बीर, लल्लू शाह, अतहर खाँ, मोहम्मद इजहार, मो मुख्तार शाह, मो मुश्ताक, मो शफीक, मो मशकूर अहमद, मो हाज़ी दिलबहार शाह, मो नवाब शाह, नफीस सहित आदि लोगों ने शिरकत की मेज़बान शायर अफरोज़ रौशन किछौछवी ने कहा कि यूँ ज़माने मे मसीहा तो बहुत हैं लेकिन
कोई दुनियाँ मे नहीं मेरे पयम्बर की तरह जलालपुर से तशरीफ लाये हुए मेहमान शायर सनाख़ाने रिसालत संदल जलालपूरी ने कहा कि....
अपनी अश्कों की मोती गिरा कर कहा
यानी असगर ने आसूं बहा कर कहा
अब मुझे गोद की कोई हाज़त नहीं
मेरे बाबा मुझे करबला चाहिए
शायर ऐ अहले सुन्नत शादाब आज़मी ने कहा कि क्या बयां कर सके कोई इंसां क्या फज़ीलत है गौसुलवरा की
शाहकर ऐ तरन्नुम हेलाल टांडवि ने पढ़ा कि फैजान ऐ इश्क़ है ये हक़ीक़त ना जाएगी दिल से मेरे नबी की मोहब्बत ना जायेगी मेज़बान शायर हसन वारसी नसरुल्लाह पूरी साहब ने कहा कि ऐ देखो बाद मे घर दोस्त का है या दुश्मन का लगी हो आग तो पहले बुझा दिया जाये
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