ब्यूरो रिपोर्ट- फैमी अब्बास
अम्बेडकरनगर। जनपद न्यायालय अम्बेडकरनगर के वरिष्ठ अधिवक्ता एवं समाजसेवी राम सागर यादव ने तहसील टांडा के राजस्व विभाग में फैली लापरवाही और उदासीनता पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि सामान्य जनता ही नहीं, बल्कि एक अधिवक्ता की बात तक को नजरअंदाज किया जा रहा है, जिससे स्पष्ट है कि आम लोगों की स्थिति कितनी दयनीय होगी।
घटना के अनुसार, टांडा तहसील क्षेत्र के एक अभिभावक की बेटी IIT की परीक्षा के लिए आवेदन कर रही है, जिसके लिए EWS प्रमाणपत्र आवश्यक था। ऑनलाइन आय प्रमाणपत्र पहले ही जारी हो चुका था और सभी औपचारिकताएँ पूर्ण होने के बाद 19 नवंबर 2025 को फाइल की संस्तुति तहसीलदार द्वारा लेखपाल के पास भेजी गई।
वरिष्ठ अधिवक्ता राम सागर यादव के अनुसार, उन्होंने संबंधित लेखपाल कुलदीप से समयसीमा—27 नवंबर 2025—का हवाला देते हुए शीघ्र रिपोर्ट लगाने का अनुरोध किया। पहले आश्वासन देने के बाद भी लेखपाल कुलदीप और उनके सहयोगी लेखपाल पंकज ने लगातार टालमटोल की।
जब सहायक अधिवक्ता राम सरोज ने लेखपालों से संपर्क किया, तो यह कहा गया कि फॉर्म घर पर है और “आज संभव नहीं”, जबकि लड़की का भविष्य दाँव पर था। कई बार संपर्क करने के प्रयासों के बावजूद दोनों लेखपालों ने कॉल रिसीव नहीं किए।
अधिवक्ता यादव ने सवाल उठाते हुए कहा “जब एक वकील की बात नहीं सुनी जाती, तो आम जनता का क्या हाल होता होगा? राजस्व विभाग के निचले स्तर पर बैठे कर्मचारी जब अहंकार में डूबकर किसी के भविष्य के साथ खिलवाड़ करें तो इससे बड़ा अन्याय क्या होगा?” और यदि उस बेटी का समय सीमा के अंदर EWS नहीं बना तो तो उस बेटी के भविष्य का जिम्मेदार कौन होगा
उन्होंने जिला प्रशासन से माँग की है कि ऐसी लापरवाही और गैर–जिम्मेदाराना रवैये पर तत्काल कार्रवाई की जाए, ताकि छात्र-छात्राओं का भविष्य असुरक्षित न हो और जनता का सिस्टम पर भरोसा कायम रह सके।



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