मतदाता को देखते ही पैर छूने वाले प्रत्याशियों की बाढ़ आ गई है।
मोकीम खान
किछौछा। नगर पंचायत अशरफपुर किछौछा क्षेत्र में चुनाव लड़ने वालो के बीच पोस्टर वार शुरू हो चुका है। नगर पंचायत की गलिया और चौराहे दावेदारो के बैनर, होर्डिंग और पोस्टरो की भरमार हो गई है। क्षेत्र में सपा, बसपा,भाजपा और निर्दलीय से सबसे अधिक दावेदारी करने वाले उम्मीदवार देखने को मिल रहे है। विभिन्न संभावित प्रत्याशी अपने अपने राजनीतिक समीकरण बैठाने लगे हैं।और मतदाता को देखते ही पैर छूने वाले प्रत्याशियों की तादाद बढ़ने लगी है। और पुरानी रिश्तेदारी को जोड़ते हुए मतदाता को लामबंद करते हुए दिखाई दे रहे हैं, और तो, कहीं कहीं दावतों का भी दौर शुरू हो गया है।पोस्टर वार का ये आलम महज अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने की इच्छा रखने वाले उम्मीदवारो में ही नही बल्कि वार्ड सभासद पद के दावेदारो के बीच भी प्रचार की जंग छिड़ी हुई है। नगर पंचायत अशरफपुर किछौछा के सार्वजनिक चौराहे, खंभे, निजी और सार्वजनिक स्थलों की दीवारे भी दावेदारो के पोस्टर और बैनरो से पटा पड़ा है। नगर पंचायत में अभी तक अध्यक्ष पद के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों से अधिक दावेदार टिकट की लाईन में लगे है। वहीं भाजपा से भी कई लोग टिकट के लिए मैदान में है।दावेदारो के कार्यालयों में सुबह शाम समर्थकों की भीड़ जुटने लगी है। हालांकि अभी नगर पंचायत चुनावों की घोषणा नही हुई है। राजनैतिक दल किन उम्मीदवारो पर भरोसा जतायेगी ये कहना अभी जल्दबाजी है लेकिन चुनाव की तरीखो के ऐलान से पूर्व ही दावेदार पोस्टर बैनरो के जरिए दावेदारी की ताल ठोकते नजर आ रहे है।सार्वजनिक स्थानों पर बैनर पोस्टर लगने लगे हैं। ऐसे मेें अब संभावित उम्मीदवार अपने क्षेत्र में सक्रिय हो गए हैं। नगर पंचायत क्षेत्र में जहां चुनाव होना है। अभी चुनाव कार्यक्रमों की घोषणा नहीं की गई है। मतदाताओं के बीच उपस्थिति दर्ज कराने के लिए संभावित प्रत्याशी और उनके समर्थक पहुंचने लगे हैं। सभी वार्ड बैनर-पोस्टर से पट गए हैं। विभिन्न धर्मों के त्योहार की बधाई व शुभकामनाएं बैनर-पोस्टर के जरिए दी जा रही हैं।मतदाताओं पर प्रभाव छोड़ने के लिए एक नया तरीका यह भी आजमाया जा रहा है कि वार्ड के प्रमुख लोगों की तस्वीर के साथ बैनर टांगे जा रहे हैं। स्थिति यह हो गई है कि एक ही व्यक्ति कई बैनर में दिख जा रहे हैं। कुछ दंपति अलग-अलग वार्ड से चुनाव लड़ने के मूड में हैं। उधर, आधी आबादी की आधी हिस्सेदारी महिलाओं की भी है। ऐसे में बड़ी संख्या में महिला प्रत्याशी भी मैदान में होगी। अब कई वार्ड में ऐसे महिला प्रत्याशी चुनाव मैदान में आने की तैयारी में हैं जिन्हें समाजसेवा से बहुत मतलब नहीं रहा है। उनके पति ही उनकी पहचान हैं। जो भी थोड़ी बहुत राजनीति से मतलब रखते हैं, अगर महिला सीट होती है तो अपनी पत्नी को आगे कर देंगे। पत्नी के नाम के बैनर में नीचे अपने को समाजसेवी बता रहे हैं। बहरहाल स्थिति यह है कि दीपावली खत्म होते ही चौक-चौराहों, चाय-पान की दुकानों एवं अन्य जगहों पर चुनावी चर्चा बढ़ गई है। कुछ ऐसे भी समाज सेवी आ रहें हैं जिनको समाजसेवा से कोई लेना देना ही नही रहा है।
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